इंदौर. आइडीए अपनी स्कीम 78 स्थित बेशकीमती व्यावसायिक उपयोग की जमीन राजकुमार मिल सब्जी मंडी के लिए देने में असमर्थ है। आइडीए ने अपनी बेशकीमती जमीन बचाने के साथ ही कानूनी झमेले से बचने के लिए प्रशासन से निरंजनपुर और कैलोदहाला में सरकारी जमीन की मांग की है। प्रशासन उक्त जमीन का सर्वे कराकर वास्तविक स्थिति निकाल रहा है।
दरअसल, विधायक रमेश मेंदोला और कलेक्टर निशांत वरवडे़ राजकुमार सब्जी मंडी स्कीम 78 में शिफ्ट कराना चाह रहे हैं। इसके लिए कलेक्टर ने सीएम के निर्देशों का हवाला देते हुए आइडीए को पत्र भी लिखा है। वैसे आइडीए अपनी 300 करोड़ रुपए कीमत की जमीन देने में असमर्थता जता चुका है। इधर मामले में राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान को देखते हुए उसने ही बीच का रास्ता खोजते हुए प्रशासन को पत्र लिखकर गूगल मैप से स्कीम के पास ही करीब 13 हेक्टेयर सरकारी जमीन तलाश कर मांगी है।
सीमांकन और सर्वे के बाद स्थिति होगी स्पष्ट
आइडीए ने पत्र में प्रशासन से कहा है, योजना 78 के प्रथम फेस के समीप सब्जी मंडी के विकास के लिए निरंजनपुर व कैलोदहाला की शासकीय भूमि उपलब्ध है। इसका सीमांकन और सर्वे कराया जाए। यदि यह जमीन उसे उपलब्ध कराई जा सकती है तो स्थानीय सब्जी व्यापारियों के लिए सब्जी मंडी विकसित की जा सकती है।
विकसित करेंगे मंडी
"प्रशासन को निरंजनपुर और कैलोदहाला में सरकारी जमीन तलाश कर बताई है। यदि जमीन उपलब्ध होती है तो आइडीए व्यापारियों के लिए सब्जी मंडी विकसित करेगा।"
गौतमसिंह, सीईओ, आईडीए
640 करोड़ रुपए की थी मांग
आइडीए लगातार सरकार पर दबाव बना रहा था कि उसे 230 एकड़ जमीन के बदले में 640 करोड़ रुपए की कीमत दी जाए। इसको लेकर फाइल सरकारी दफ्तरों की शोभा बढ़ा रही थी। इस बीच में एक प्रस्ताव आया, जो सबके गले उतर गया। आइडीए ने अपनी योजना 151 व 172 में शामिल नैनोद की सर्वे नंबर 322 व 334 की 95.46 हेक्टेयर जमीन मांग ली। इंदौर से राजधानी के बीच में कई बार फाइल ने अप-डाउन किया, आखिर देने पर सहमति बन ही गई। इसको लेकर कलेक्टर निशांत वरवड़े ने नगरीय प्रशासन व आवास विभाग के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल को पत्र लिखकर आइडीए को जमीन आवंटित करने पर सहमति जता दी है। सरकार से हरी झंडी मिलते ही जमीन मिल जाएगी।
योजना का था हिस्सा
नैनोद गांव के सर्वे नंबर 322 व 334 की 95.46 हेक्टेयर जमीन सरकारी थी। 2011 में आइडीए ने योजना 172 लागू की थी, ये जमीन भी उसमें शामिल थी। बकायदा इसका गजट प्रकाशन भी हो चुका था। इसके चलते आइडीए ने जमीन मुफ्त में आवंटित करने का आग्रह किया था।
पुलिस से खत्म हो गया विवाद
जमीन पर वर्तमान में मालिकाना हक को लेकर कोई विवाद नहीं चल रहा है। नैनोद की यह जमीन अविवादित रूप से सरकारी है। पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। पुलिस ने आपत्ति ली थी, जिसका 20 सितंबर 2017 को निराकरण हो गया। उसमें आइडीए के पक्ष में फैसला आया था।
जमीन देना सबके हित में
सुपर कॉरिडोर पर टीसीएस और इन्फोसिस को दी गई 230 एकड़ जमीन की क्षतिपूर्ति राशि के एवज में आइडीए को मुफ्त में जमीन देना आइडीए और शहर के हित में है। ये तर्क देते हुए कलेक्टर वरवड़े ने कहा कि जमीन देने से सुपर कॉरिडोर मार्ग को पीथमपुर आर्थिक व औद्योगिक कॉरिडोर से जोड़ा जा सकेगा, बल्कि आवंटित जमीन के कृषकों को भी मांग अनुसार प्लॉट दिया जा सकता है। साथ में जमीन से एयरपोर्ट विस्तार का मार्ग भी खुलेगा। यदि जमीन आइडीए को नहीं मिलती है तो आर्थिक वजह से योजना लागू करना संभव नहीं है। मास्टर प्लान में अत्यंत महत्वपूर्ण सड़क का विकास नहीं
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