स्कीम 140 के भूखंडों के आवंटन पर फिलहाल रोक जारी रहेगी। इन भूखंडों को लेकर हाई कोर्ट में दायर 50 याचिकाओं में शुक्रवार को सुनवाई हुई। आईडीए को किसानों और गृह निर्माण संस्थाओं के लिए आरक्षित भूखंडों की स्थिति नक्शे पर स्पष्ट करना थी, लेकिन उसके वकील ने इसके लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने पहले दिए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को यथावत रखते हुए 18 जनवरी तक का समय दे दिया। तब तक आवंटन की प्रक्रिया रुकी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि आईडीए ने करीब 6 महीने पहले स्कीम 140 के 192 भूखंडों को बेचने के लिए टेंडर बुलवाए थे। इनमें से कुछ भूखंडों के तो उसे डेढ़ लाख रुपए वर्गमीटर तक का प्रस्ताव मिला था। सालों पहले आईडीए ने स्कीम के लिए इस क्षेत्र के किसानों और गृह निर्माण संस्थाओं की जमीन अधिग्रहित की थी। अधिग्रहण को चुनौती देते हुए किसानों ने कोर्ट में याचिकाएं दायर कर दी। कोर्ट ने इन याचिकाओं का निराकरण करते हुए आईडीए को आदेश दिया था कि वह किसानों को जमीन के बदले 20 प्रतिशत विकसित भूखंड दे। सिंगल बेंच के इस फैसले को चुनौती देते हुए आईडीए ने अपील दायर कर दी। अपील लंबित रहने के दौरान ही आईडीए ने स्कीम के भूखंडों को बेचने के लिए टेंडर जारी कर दिए। इस पर किसानों ने आपत्ति ली तो कोर्ट ने आईडीए को आदेश दिया कि अपील के अंतिम निराकरण तक उक्त स्कीम के 20 प्रतिशत भूखंड आरक्षित रखे जाएं। कोर्ट के आदेश पर आईडीए ने इन आरक्षित भूखंडों की नक्शे पर मार्किंग भी पेश की थी। हाल ही में आईडीए ने स्कीम 140 के भूखंडों को बेचने के लिए दोबारा टेंडर जारी किए तो एक बार फिर आरक्षित भूखंडों को लेकर विवाद गहरा गया।
किसान और गृह निर्माण संस्थाओं का कहना है कि आईडीए ने जिन भूखंडों को बेचने के लिए टेंडर निकाले हैं, उनमें आरक्षित भूखंड भी शामिल हैं। पिछली सुनवाई पर युगल पीठ ने इस मामले में दायर 50 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए भूखंडों के आवंटन पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आईडीए को यह आदेश भी दिया था कि वह नक्शे पर भूखंडों की स्थिति स्पष्ट करे। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट गौरव छाबड़ा ने बताया कि शुक्रवार को आईडीए नक्शे पर भूखंडों की स्थिति स्पष्ट नहीं कर सका। इस पर कोर्ट ने 18 जनवरी तक का समय देते हुए भूखंडों के आवंटन पर रोक जारी रखी।
टेंडर वाले भूखंडों में
आरक्षित शामिल नहीं
आईडीए की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि जिन भूखंडों के टेंडर निकाले हैं, उनमें किसानों और गृह निर्माण संस्थाओं के लिए आरक्षित भूखंड शामिल नहीं हैं। वह अगली सुनवाई से पहले नक्शा भी प्रस्तुत कर देंगे।
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